Indian Cyber Law in Hindi IT Act 2000

अपराध ऐतिहासिक है । यह अतीत से चलता आ रहा है जो की चोरी, धोखाधड़ी, जालसाजी और अवैध गतिविधियों में शामिल है ।  कंप्यूटर से होने वाले अपराध ने एक नए अपराध साइबर अपराध को जन्म दिया । जिसके कारण एक अधिनियम पास किया गया जिसे आईटी अधिनियम २०००  रूप  में जाना जाता है ,  जो की इंटरनेट पर साइबर अपराध को कम करने के  नज़र रखता है । इंटरनेट पर अपराध को कम करने के लिए भारत ने साइबर लॉ पारित किया । लोग अक्सर जाने अनजाने में इंटरनेट पर कुछ गलतिया कर देते है और उन्हें ये नही पता होता की इस गलती की सजा भी हो सकती है , इसलिए अगर आप साइबर नियम के अनुसार चलेंगे तो आप इंटरनेट पर सुरक्षित रह सकते है । आजकल सोशल मीडिया पर हम कुछ भी शेयर कर देते है, लेकिन सबसे जादा अपराध सोशल मीडिया से ही हो रहा है, इसलिए साइबर नियम पालन करते हुए अगर आप सोशल मीडिया उपयोग करते है तो आप उस पर भी सुरक्षित रह सकते है ।  साइबर नियम के प्रति जारुक रहिये और दुसरो को भी जागरूक करिये । 

साइबर नियम कहा कहाँ लागू होता है - 

१. बेसिक इंटरनेट सुरक्षा । 
२. भारतीय साइबर कानून पर बुनियादी जानकारी । 
३. टेक्नोलॉजी की सहायता से अपराध । 
४. सभी ऑनलाइन गतिविधियों पर । 
५. आर्गेनाइजेशन  के लिए इंटरनेट की कई प्रकार की नीतियाँ । 
६. आर्गेनाइजेशन के डेटा को सुरक्षित रखने के लिए न्यूनतम हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर । 
७. हैकिंग और बिना अनुमति के किसी के सिस्टम को एक्सेस करना । 
८. वायरस अटैक 
९. DOS अटैक 
१०. इ-मेल अटैक 
११. डेटा hiding 
१२. पोर्नोग्राफी 
१३. ऑनलाइन जालसाज़ी 
१४. फिशिंग 
१५. प्राइवेसी का उल्लंघन 
१६. साइबर टेररिज्म 
१७. इ-कॉमर्स या इन्वेस्टमेंट फ्रॉड 
१८. क्रेडिट या डेबिट कार्ड फ्रॉड 
१९. साइबर स्टैकिंग
२०. आइडेंटिटी थेफ़्ट 
२१. डोमेन थेफ़्ट 

आईटी अधिनयम २००० - 

आईटी अधिनियम २००० , ९ जून को मंजूरी दी गयी और १७ अक्टूबर को प्रभावी बनाया गया । इस अधिनियम में १३ चैप्टर और ९० सेक्शन है । 

आईटी अधिनियम के अंतर्गत अपराध और जुर्माना -

१. सेक्शन 65 -

इस सेक्शन के अन्तर्गत अगर आप किसी के डेटा  के साथ छेड़ छाड़ बिना उसके परमिशन के  करते है तो  
आपको तीन साल की जेल या दो लाख रुपये का जुरमाना या फिर दोनों हो सकता है ।

२. सेक्शन 66 ई -

इसके अन्तर्गत किसी भी व्यक्ति की प्राइवेसी का उल्लंघन करना या किसी व्यक्ति के प्राइवेसी को बिना उसकी अनुमति के पब्लिकली पब्लिश करना इस सेक्शन के अन्तर्गत आता है । इसका उल्लंघन करने वाले को तीन साल तक जेल या दो लाख रुपये का जुर्माना या फिर दोनों हो सकता है । 

३. सेक्शन 66 F -

इसके अन्तर्गत साइबर आतंक जैसे की वायरस,ट्रोजन, हैकिंग या फिर किसी व्यक्ति के सम्पति को नुकसान करना या मर्डर करना ये सब अपराध  इस  सेक्शन  अन्तर्गत आते है । इसके लिए सजा आजीवन कारावास हो सकता है । 

४. सेक्शन 67 B - 

इसके अन्तर्गत चाइल्ड पोर्नोग्राफी आता है चाइल्ड पोर्नोग्राफी ऑनलाइन या ऑफलाइन देखना अपराध है जिसके लिए पांच साल की सजा या फिर दस लाख रुपये का जुरमाना हो सकता है या फिर दोनों ही हो सकता है। 

५. सेक्शन 67 C -

इसके अन्तर्गत मध्यम तरह के ISP , टेलीकम्यूनिकेशन कंपनी , साइबर कैफ़े आदि अगर एक साल तक अपने डेटा को मेन्टेन नहीं रख सकते है तो उनको सेक्सुअल कंटेंट डिस्ट्रब्यूटे करने का अपराधी माना जाता है, यह तब माना जाएगा जब आप से एक साल का डेटा पुलिस द्वारा  मांगने पर नहीं दिखा पाते  तब इसलिए आप निरन्तर अपने डेटाबेस को अपडेट और सुरक्षित रखिये एक साल तक ऐसा न करने पर आपको तीन साल की सजा या फिर जुर्माना हो सकता है । 

६. सेक्शन 69 A -

केंद्र सरकार या उसका कोई  भी अफसर अगर टेलीकम्यूनिकेशन , ISP प्रोवाइडर , साइबर कैफ़े आदि को ऐसे किसी भी कंटेंट को ब्लॉक करवा सकता है, ऐसा न करने पर सात साल की सजा या फिर जुरमाना हो  है । 

७. सेक्शन 69 B -

केंद्र सरकार  किसी भी कंप्यूटर रिसोर्स की निगरानी या डेटा ट्रैफिक की जानकारी कभी भी किसी भी कंपनी या किसी से भी साइबर सुरक्षा के लिए  ले सकती है । अगर आप ऐसा नहीं करते है तो आपको तीन  साल की सजा या फिर जुरमाना हो सकता है । 

८. सेक्शन 71 - 

किसी भी सामान , प्रमाण  या फिर गलत स्टेटमेंट या झूठ ऑनलाइन पब्लिश करते  है तो ये भी साइबर अपराध में आता है इसके लिए दो साल की सजा  फिर एक लाख रूपये का जुर्माना या दोनों हो सकता है । 

८. सेक्शन 72 - 

किसी के प्राइवेसी को तोडना या ऑनलाइन पब्लिश करना ये इस सेक्शन के अन्तर्गत  आता है । इसके लिए दो साल की जेल या फिर एक लाख रुपये जुर्माना या दोनों  सकता है । 

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